दिल को उसकी हसरत से खफा...
दिल को उसकी हसरत से खफा केसे करूँ,
अपने रब को भूल जाने की खता केसे करूँ,
लहू बनकर रग रग में बस गया है बो,
लहू को इस जिस्म से जुदा केसे करूँ ||
मेरे दिल का दर्द किसने देखा है...
मेरे दिल का दर्द किसने देखा है,
मुझे बस मेरे खूदा ने तडपते हुए देखा है,
हम तनहाइयों में अक्सर रोते है,
लोगों ने हमें महफ़िल में हस्ते देखा है ||
आँखें खोलूं तो चेहरा तुम्हारा...
आँखें खोलूं तो चेहरा तुम्हारा हो,
आँखें बंद करू तो सपना तुम्हारा हो,
मर भी जाऊँ तो कोई गम नहीं,
कफ़न की जगह दुपट्टा तुम्हारा हो ||
जनाजा मेरा उठ रहा था...
जनाजा मेरा उठ रहा था फिर भी तकलीफ थी उन्हें आने में,
बेवफा घर बैठे पूँछ रही है कितनी देर है वीरेश का जनाजा जाने में ||
मुझे उससे मोहब्बत भी नहीं ...
मुझे उससे मोहब्बत भी नहीं थी,
उसे मेरी जरुरत भी नहीं थी,
जिस शिद्दत से में उसको चाह्ता था,
बो इतनी खूब सूरत भी नहीं थी |
जब निकले मेरा जनाजा...
जब निकले मेरा जनाजा तो गली गली घुमा देना,
जब उसकी गली आये तो मुँह से कफ़न हटा देना,
बो पूंछे ये मौत कैसे हुई,
तो मजबूरी मोहब्बत बता देना,
जब पूंछे जान हमारी पता कब्रस्तान बता देना ||
उन लोगों को क्या मालूम...
उन लोगों को क्या मालूम जिन्हे मेरी तरह गम ने मारा होगा,
किनारे पे खड़े लोग क्या जाने डूबने बाले ने किस किस को पुकारा होगा ||
दिल तो कहता है कि...
दिल तो कहता है कि छोड़ जाऊ ये दुनियाँ हमेशा के लिए
फिर ख्याल आता है कि बो नफरत किस से करेंगे मेरे चले जाने के बाद |
आप पास रहो या दूर...
आप पास रहो या दूर हम दिल से दिल की आवाज मिला सकते है,
न खत न फोन के मोहताज है आपका दिल तो एक हिचकी से हिला सकते है ||
खुदा ने मौका दिया हमें...
खुदा ने मौका दिया हमें ख़ुशी मानाने का,
बड़ा अरमान था आपको अपने घर बुलाने का,
न इंकार करना वीरेश के घर आने से,
क्युकी खुदा भी रूठ जाता है वीरेश का दिल दुखाने से ||