जिंदगी दी जीने को तो...
जिंदगी दी जीने को तो जी हमने,
सिगरट दी पीने को तो पी हमने,
नहीं पीते तो खुदा का लिखा गलत हो जाता,
खुदा के लिखे पे अमल किया तो दुनिया बालों से पूंछो कौन सी खता की हमने ||
उसने दर्द इतना दिया...
उसने दर्द इतना दिया कि सहा न गया,
उसकी आदत सी थी की रहा न गया,
आज भी रोती हूँ उसे दूर देखके,
लेकिन दर्द देने बाले से यह कहा न गया ||
भीड़ में भी तनहा...
भीड़ में भी तनहा रहना सिखा दिया,
तेरी मुहब्बत ने दुनिया को झूठा कहना सिखा दिया,
किसी दर्द या ख़ुशी का एहसास नहीं है अब तो,
सब कुछ जिंदगी ने चुप चाप सहना सिखा दिया ||
गुलशन की बहारों पे...
गुलशन की बहारों पे सर-ए-शाम लिखा है,
फिर उसने किताबों पे मेरा नाम लिखा है,
ये दर्द इसी तरह मेरी दुनिया में रहेगा,
कुछ सोच के उसने मेरा अंजाम लिखा है ||
मेरे दर्द ने मेरे जख्मों...
मेरे दर्द ने मेरे जख्मों से शिकायत की है,
आंशुओं ने मेरे सब्र से बगाबत की है,
गम मिला है तेरी चाहत के समंदर में,
हां मेरा जुर्म है की मेने मुहब्बत की है ||