हर शाम चिरागों से सजा...
हर शाम चिरागों से सजा रखी है,
अफ़सोस ये है की शर्त हवाओं से लगा रखी है,
न जाने किस गली से आ जाए हमारी महरूबा,
इस लिए हर गली फूलों से सजा रखी है ||
हर शाम चिरागों से सजा रखी है,
अफ़सोस ये है की शर्त हवाओं से लगा रखी है,
न जाने किस गली से आ जाए हमारी महरूबा,
इस लिए हर गली फूलों से सजा रखी है ||